Sunday, March 27, 2011

जीवन- मृत्यु

दोस्तों यह कविता मुझे एक विद्यालय की पुरानी वार्षिक पत्रिका में मिली और एक छात्र (श्री आशीष कुमार) द्वारा लिखी गई है। यह पत्रिका मुझे कचरे में मिली थी। मुझे अच्छी लगी इसलिए मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ। लीजिए...

क्या है जीवन?
रहस्य क्या इसका?
मृत्यु क्या है?
सटीक नहीं कहीं उत्तर दिखता।
कहे कोई चलना जीवन है,
हे मानव! तू चलता जा।
कभी ना रुक तू हारकर,
कर्म पथ पर बढ़ता जा।
प्रेम- गीत है यह जीवन,
गाना तेरा काम है।
तुझे बहुत कुछ है करना,
अभी कहाँ आराम है?
दुःखों का जलधि यह जीवन,
जाने इसमें कितने डूबे।
सिंह सम सच ही वह,
जो इनसे कभी न ऊबे।
गुलाबी गुलाबोँ का गुलदस्ता नहीं,
जीवन इतना सस्ता नहीं।
काँटोँ की ये है माला,
जिसे खुदा ने है संभाला।
कोई कहे सुधा सम यह,
कहे कोई यह विष का प्याला।
जीवन मृत्यु है महिमा रब की,
जिसका है अंदाज निराला।
जन्म जीवन यही देता है,
मृत्यु भी इसकी ही देन।
जो जीवन है एक नदी,
तो जीवन इसका घाट है।
अद्भुत पुस्तक है जीवन,
पढ़ना सबका काम है।
जिंदगी जिंदादिली का नाम है,
यही मेरा पैगाम है॥

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