दोस्तों नमस्कार! ये एक कविता है जो मेरे युवावस्था में कदम रखने के तुरंत बाद दुनिया के लिए मेरी अभिव्यक्ति का एक हिस्सा है! क्या आपका भी?
आइए देखें...
ये जिंदगी ही जब
बचपन में थी-
तो सोचा करती थी,
टटोला करती थी;
ये दुनिया क्या है?
ये दुनिया वाले क्या हैं?
तब ये समझ ना पाई थी-
दुनिया क्या है!
दुनिया वाले क्या हैं!!
धीरे- धीरे ये जिंदगी
कुछ बड़ी हो गई,
और इसकी दो आँखें हो गईं,
तब ये देखा करती थी,
विचारा करती थी;
ये दुनिया बड़ी अलबेली है,
ये दुनिया बड़ी निराली है,
पर तब ये समझ ना पाई थी-
ये दुनिया अलबेली क्यों है?
ये दुनिया निराली क्यों है?
दिन निकलते रहे,
रातेँ गुजरती रहीं,
मौसम आते- जाते रहे,
वक्त ना रुका है,
और ना रुका,
वह अपनी रफ्तार से गुजरता रहा;
और तभी एक दिन पता चला-
ये जिंदगी जवान हो गई!
ये जिंदगी जवान हो गई,
और इस दुनिया के लिए,
खेल का बहुत सुंदर मैदान हो गई!
दुनिया का नया रूप देख कर-
ये जिंदगी अवाक रह गई,
दुनिया ये खेल कर निहाल हो गई!
उसके ठोकरोँ से जैसे-
ये जिंदगी लहू लुहान हो गई;
ये दुनिया खेली बहुत!
ये जिंदगी रूँदी बहुत!!
रूँदने से धूल उड़ी और-
सूर्यास्त के बाद तेजी से,
फैलते अंधकार की तरह,
चारों ओर छा गई,
सूरज तो शायद अभी सर पर ही-
चमक रहा होगा!
हरी भरी जमीन पर जैसे,
अपनी उपस्थिति की एक,
बेहद खौफनाक पहचान छोड़कर,
दुनिया कुछ किनारे खड़ी थी-
जैसे कुछ और पा लेने की चाहत में!
जिंदगी के बंद होते आँखों से
दो आँसू लुढ़क गए,
अंतर्मन से टीस भरी कराह निकल गई,
अर्द्ध निशा के गहरे अँधेरे में,
अब ये समझ पाई थी-
ये दुनिया क्या है!
ये दुनिया वाले क्या हैं!!
ये अलबेली क्यों है!
ये दुनिया निराली क्यों है!!
पर अब भी किसी कोने में-
एक नए सवेरे की आशाएँ,
हिलकोरे भर रही थी!
ओस की शीतल बूँदोँ से भीगकर,
नए सवेरे की चमकीली रोशनी में,
फिर से हरियाली ला देने की उमंगें
अभी बाकी थीं!!
एक युवा जिसके कुछ सपने हैं, कुछ विशिष्ट विचार एवं संकल्पनाएँ हैं, जिसकी कुछ प्रतिमाएँ अभी सामने आनी बाकी हैं और जिसकी चाहत है अपने चारों ओर एक सकारात्मक बदलाव लाने की। यह मेरी डिजिटल डायरी है जिसे आप भी पढ़ सकते हैं। वैसी बातें जिन्हें मैं सबको बताना चाहूँ या जिन्हें व्यक्त करने के लिए एक अदद मित्र की जरूरत पड़े दोनों ही इसमें मिल जाएँगी। हो सकता है इसके कुछ पोस्ट से आप सहमत न हों लेकिन यह मेरे पोस्ट के समय विशेष पर मेरी विचारधारा को इंगित करता है और आप इसे इसी नजरिये से लें। धन्यवाद।
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