Tuesday, January 25, 2011

पटना का गाँधी मैदान

गाँधी मैदान जिसका नाम पहले पटना लौँस था पटना में गंगा नदी से कुछ दूरी पर स्थित है। शहर की कई महत्वपूर्ण सरकारी एवं गैर सरकारी इमारतें गाँधी मैदान के आसपास हैं। इनमें होटल मौर्य, श्री कृष्ण विज्ञान केंद्र, सेंट झेवियर हाई स्कूल, ए॰एन॰ सिंहा समाज अध्ययन केंद्र, हथवा मार्केट एवं बिस्कोमान भवन(शहर की सबसे ऊँची इमारत) शामिल हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण आंदोलन इस मैदान से शुरू हुए। चम्पारण का सत्याग्रह एवं 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन इनमें प्रमुख हैं। महात्मा गाँधी, अनुग्रह नारायण सिंहा, सरदार पटेल,मौलाना आजाद, जवाहर लाल नेहरू, जय प्रकाश नारायण जैसे दिग्गज नेताओं ने अपनी रैलियाँ कीं। वर्तमान में भारतीय स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर क्रमशः बिहार के मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल यहाँ तिरंगा फहराते हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन व्यापार मेला आदि के लिए भी इसका उपयोग करता है।
गाँधी मैदान का दुःखद पहलू यह है कि एक ऐतिहासिक स्थल एवं पटना का पहचान चिन्ह होने के बावजूद इसकी देखभाल की कोई व्यवस्था नहीं है। यह मैदान दिन भर लोगों के लिए खुला रहता है। लोग बिना रोक टोक मैदान के लगभग हर भाग में पेशाब करते हैं, मूँग फलियाँ खाकर कचरा फेँकते हैं। काफी संख्या में तमाशेबाज धूर्त लोग सीधे सादे लोगों को फाँस कर दवाइयों, तंत्र- मंत्र- टोटकोँ के नाम पर प्रतिदिन हजारों रुपए का काला धन्धा करते हैं।यह सब पुलिस के सामने एवं उनकी जानकारी में चलता है।गाँधी मैदान के चारों तरफ पगडंडी पर ठेले रिक्शे वालों का कब्जा रहता है।
बिहार सरकार एवं स्थानीय प्रशासन देश के अन्य महानगरों से सबक ले कर इसे एक आकर्षण का केंद्र बना सकते हैं वहीँ बाहर से आने वाले गाँधी मैदान को देख कर जाएँगे।

Tuesday, January 18, 2011

मेरे भाई की सगाई हुई

पिछले माह मेरे छोटे भाई की सगाई हुई। विवाह 8 फरवरी 2011 को होना तय हुआ है।
व्यस्तता भरे इस जीवन शैली में विवाह जैसे अवसर एक सुखद संयोग हैं जब पूरे परिवार के सदस्योँ के साथ- साथ अधिकतर रिश्तेदार भी आपस में मिल लेते हैं।
ऐसा ही यह संयोग मेरे परिवार में आया है जिसमें कुछ सदस्य आपस में लगभग दस वर्ष बाद मिल सकेंगे।