एक युवा जिसके कुछ सपने हैं, कुछ विशिष्ट विचार एवं संकल्पनाएँ हैं, जिसकी कुछ प्रतिमाएँ अभी सामने आनी बाकी हैं और जिसकी चाहत है अपने चारों ओर एक सकारात्मक बदलाव लाने की। यह मेरी डिजिटल डायरी है जिसे आप भी पढ़ सकते हैं। वैसी बातें जिन्हें मैं सबको बताना चाहूँ या जिन्हें व्यक्त करने के लिए एक अदद मित्र की जरूरत पड़े दोनों ही इसमें मिल जाएँगी। हो सकता है इसके कुछ पोस्ट से आप सहमत न हों लेकिन यह मेरे पोस्ट के समय विशेष पर मेरी विचारधारा को इंगित करता है और आप इसे इसी नजरिये से लें। धन्यवाद।
Monday, July 18, 2011
भ्रष्टाचार की जड़ें- 1- 1
पटना जैसे शहरों में बिजली की चोरी जोरों से चल रही है। लोग अपने घरों में बाकायदा चेँजओवर स्विच लगाए हुए हैं जिनसे वे रात में, मोटर वगैरह चलाते समय या फिर महीने में कुछ दिनों के लिए बिजली के मीटर को बायपास कर अपनी मर्जी के बिजली बिल में मनमानी बिजली उपयोग करते हैं। हद यह है ज्यादातर लोगों ने किराएदार रखे हैं जिनके लिए सब-मीटर लगे हैं और किराएदारोँ से बिजली बिल के नाम पर मोटी रकम भी वसूली जा रही है, अर्थात दोनों तरफ से फायदा। किराएदारोँ की कोई पक्की जानकारी नहीं ली जाती है न ही पुलिस में उनके बारे में कोई जानकारी दी जाती है जिससे शहरों में आपराधिक घटनाओं पर रोक लगा पाना असंभव होता जा रहा है। एक और बात- किराएदारोँ से मिलने वाली रकम के एवज में कोई रसीद नहीं दी जाती, माँगने पर भी नहीं- रहना है तो रहो नहीं तो कहीं और देखो! नौकरीपेशा किराएदार तो नकली रसीद जमा कर के अपने लिए टैक्स की छूट प्राप्त कर लेते हैं जबकि मकान मालिक भी अपनी आय को छिपा कर सरकारी खजाने को दोगुना चुना लगाते हैं।
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